सबका अपना अपना नजरिया होता है फिर चाहे वो आम आदमी हो या खास, छोटा हो या बड़ा अमीर हो या गरीब व्यापारी हो या मजदूर जीने के लिए सभी अपनी सामर्थ्ये और बद्धि से काम लेते हैं.
एक बार कि बात है मेरे एक परिचित व्यापारी ने कहा था कि मिलावट खोरी तो मेरा धर्म है में उस समय समझता था कि ये सब मज़ाक है और शायद उस परिचित ने ये बात मज़ाक मैं ही कही हो लेकिन वर्तमान स्थिति को देख कर नहीं लगता ये मज़ाक है अब तो लगता कि वास्तव मैं मिलावट खोरी एक धर्म ही है .क्योंकि आजकल जो हालात हो गए हैं उससे तो यही ज़ाहिर होता है ...व्यापारियों कि तो आजकल पो बारा है , एसी कौन सी वास्तु है जिस पर वोह लागत से ज़यादा नहीं कमाता फिर चाहे वोह दाल चावल हो आटा हो, ये वोह चीज़ें हैं जो आम आदमी रोज़ मर्रा कि ज़िन्दगी मैं प्रयोग करता है और येही जीवित रहने के लिए आवश्यक भी है किन्तु इसके अतिरिक्त ऐसी कई चीज़ें हैं जो लोग प्रयोग करते हैं और व्यापारी दिल खोल कर उनमे मिलावट कर रहे हैं हद ये है कि सब से ज़यादा इस्तेमाल होने वाला पदार्थ यानी कि दूध भी इस से अछूता नहीं है जिसे हमारे नोनिहालो के लिए अत्यंत महत्त्व पूर्ण माना गया है उसी मैं लोग मिलावट कर रहे हैं इसके अतिरिक्त मावा, तेल , घी, हल्दी, धनिया, मिर्च आदि .और तो और बे इमान व्यापारियों दवाईयों मैं भी मिलावट करने से परहेज़ नहीं किया जिनके सहारे लोग बीमार होने पर फिर से सवस्थ होने और फिर से जिंदा रहने कि आस लगते हैं बात यहाँ पर ही ख़त्म नहीं हो जाती बल्कि इंसानियत के दुश्मनों ने अब खून मैं भी मिलावट कर रकही है मेरी राये मैं तो ऐसे लोगो को फांसी पे चढा देना चाहिए लेकिन सोचता हूँ कि क्या मेरा नजरिया सही है ?
Sunday, October 18, 2009
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2 comments:
aap bilkul sahi hain
aise milaavat khoron ko milaavti doodh aur ghee tab tak pilaao jab tak ki ye mar naa jaayen
aapki aag me meri bhi chi9ngaari shaamil hai
jai hind !
achaa hai aur sach bhi hai aaj kal to logo ke andar bhi milawat hai
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